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प्रारम्भिक परीक्षा क्वालीफ़ाई करना कितना महत्वपूर्ण है, हम सब जानते ही हैं। आइए, समझें कि इस प्रीलिम्स परीक्षा के ठीक पहले की तनावपूर्ण घड़ी में कैसे सहज रहकर सफलता हासिल करें -
- सबसे पहले तो मन से यह ग़लतफ़हमी निकाल दें कि आप पहले पढ़ी हुई चीज़े भूल गए हैं। निश्चिन्त रहें, परीक्षा भवन में आप सब कुछ पढ़ा हुआ रिकलेक्ट कर पाएँगे।
- विश्वास भरपूर रखें कि आपकी तैयारी अच्छी है तो सेलेक्शन की सम्भावनाएँ भी ज़्यादा हैं। वैसे भी लाखों अभ्यर्थियों में sincere या गम्भीर अभ्यर्थी काफ़ी कम ही होते हैं।
- 'निष्काम कर्मयोग' (Disinterested Action) का सिद्धांत ख़ास तौर पर प्रीलिम्स में बहुत सहारा देता है। परीक्षा को तनावमुक्त होकर देना हमारा काम है, उसके परिणाम की उधेड़बुन में लगे रहने का कोई औचित्य नहीं है। प्रीलिम्स में असफल हो जाने वाले ज़्यादातर अभ्यर्थी यह स्वीकार करते हैं कि हमने सवाल का उत्तर जानने के बावजूद जल्दबाज़ी, तनाव, स्ट्रेस या ऊहापोह में ग़लत विकल्प चुन लिया या फिर ग़लत गोला भर दिया।
- रिवीज़न ही करें, यह नया पढ़ने का समय नहीं है। हो सके तो, एक बार राजव्यस्वस्था, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और करेंट अफ़ेयर्स को दोबारा देख लें।
- निगेटिव मार्किंग से निपटने के लिए अभ्यास ज़रूरी है, लिहाज़ा टेस्ट पेपर हल करें और निगेटिव मार्किंग का गणित अच्छे से समझ कर अपनी एक सम्भावित रणनीति बना लें।
- पेपर एक और पेपर दो, दोनों के प्रश्नपत्रों का अभ्यास करें।
- इस बात का सिरदर्द बिलकुल न पालें कि आपको पढ़ी हुई बातें याद हैं या नहीं। आपने साल भर जो कुछ भी पढ़ा है, वह निश्चित रूप से आपके स्मृति पटल में सुरक्षित है और वह ज़रूरत पड़ने पर स्वतः याद आ जाएगा।
- परीक्षा चूँकि सुबह होती है अतः आख़िरी के दिनों में वक़्त पर सोने और सुबह वक़्त पर उठने की आदत डाल लाइन ताकि परीक्षा की सुबह तरोताज़ा उठें।
- किसी की देखादेखी अपनी नींद को नज़रअन्दाज़ न करें और रोज़ सात घंटे की नींद ज़रूर लें।
- हल्का और सुपाच्य भोजन लाइन, फल-सब्ज़ियाँ-सलाद का सेवन करें।
- सुबह या शाम के समय आधा घंटा हरियाली के बीच टहलें ज़रूर।
- अपने आराध्य पर और ख़ुद पर आस्था बनाए रखें।
- इधर-उधर की बातों या व्यर्थ के तनावों से बचें और नकारात्मकता से कोसों दूर रहें।
परीक्षा हॉल में ....
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-प्रीलिम्स में होने वाली एक आम ग़लती यह है कि हम सवाल को ध्यान से या सावधानी से नहीं पढ़ते। मसलन अगर किसी बहुविकल्पीय प्रश्न में पूछा गया है कि कौन-कौन से विकल्प सही 'नहीं'हैं? और जल्दबाज़ी या लापरवाही में हमने 'नहीं' शब्द पर ध्यान नहीं दिया तो पूरी तरह आने वाला प्रश्न भी ग़लत हो जाएगा। अतः हर सवाल को धैर्यपूर्वक पढ़े।
- प्रीलिम्स का पेपर इंग्लिश और हिंदी दो भाषाओं में आता है। मेरी व्यक्तिगत सलाह है कि यदि आपको कोई शब्द या वाक्य एक भाषा में समझ नहीं आ पा रहा है तो दूसरी भाषा में उसका अनुवाद देख लें। कभी-कभी उससे भी कुछ क्लू मिल जाता है।
- पेपर के पहले पन्ने पर दिए गए दिशानिर्देशों को ज़रूर पढ़े। आपको उत्तर-पत्रक पर काले रंग के बॉल पेन से गोले (bubbles) भरने होते हैं। निर्देशानुसार सही तरीक़े से गोले भरें।
-पेपर को देखकर ही आपको अंदाज़ा होता है कि इस साल पेपर कैसा आया है। कुछ अभ्यर्थी कठिन पेपर देखकर बुरी तरह घबरा जाते हैं। मैं उन्हें याद दिलाना चाहूँगा कि पेपर आसान हो या कठिन, सभी अभ्यर्थियों के लिए एक जैसा ही है। अतः घबराए बग़ैर आसन्न परिस्थितियों में ही अपना बेस्ट प्रदर्शन करें।
- कुछ अभ्यर्थी इतने ज़्यादा उतावले और व्यग्र होते हैं कि पहला पेपर देने के बाद दूसरा पेपर शुरू होने के पहले फ़र्स्ट पेपर के विकल्पों की जाँच करने लगते हैं। यह सरासर ग़लत है। आप पहला पेपर कुछ घंटों के लिए उसे भूल जाएँ। ख़ुद को थोड़ा रीलैक्स करें और तरोताज़ा होकर सेकिंड पेपर देने पहुँचें।
- दोनों पेपर देने के तुरंत बाद उत्तर कुंजियाँ (answer key) न ढूँढें। यदि आपको सही उत्तर जानने ही हैं, तो आराम से दो-तीन दिन बाद किसी अच्छी 'आन्सर की' से मिलान करें। ध्यान रहे, कि कोई भी 'आन्सर की' शत प्रतिशत सही नहीं है। कट ऑफ़ कितना जाएगा, इन अटकलों में उलझे बग़ैर अगले चरण यानी मुख्य परीक्षा की तैयारी में जी-जान से जुट जाएँ।
(बेस्ट्सेलर किताब 'मुझे बनना है UPSC टॉपर' -लेखक- निशान्त जैन IAS से साभार)